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एशिया की पहली ग्रैंड स्लैम विजेता चीन की ली ना ने अंतरराष्ट्रीय टेनिस से संन्यास ले लिया है.
दोस्तों और प्रशंसकों को संबोधित करते हुए उन्होंने घुटने की चोट को संन्यास की वजह बताया.
उन्होंने कहा, “32 साल की उम्र में मैं अब कभी शीर्ष स्तर पर नहीं खेल पाऊंगी. यह खेल इतना प्रतिस्पर्धी है कि इसमें जीत के लिए आपको सौ फ़ीसदी प्रदर्शन करना होता है.”
इसके साथ ही ली के शानदार करियर का भी ख़त्म हो गया. उन्होंने 2011 में फ्रैंच ओपन जीतकर ग्रैंड स्लैम जीतने वाली एशिया की पहली खिलाड़ी बनने का गौरव हासिल किया था.
इस साल ऑस्ट्रेलियन ओपन जीतकर ली ने अपनी सर्वश्रेष्ठ विश्व नंबर दो रैंकिंग हासिल की थी.
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टेनिस प्रशंसक उनके तेज़ खेल और ताक़तवर शॉट्स को याद रखेंगे.
खेल कौशल
चीन और दुनियाभर में उनके लाखों प्रशंसक हैं. वह चीन के खेल कौशल का ऐसा दुर्लभ उदाहरण हैं जिसे सिर्फ़ चीन में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में सराहा गया.
1982 में मध्य चीन के वुहान में जन्मी ली ने आठ वर्ष की उम्र में टेनिस खेलना शुरू किया था.
उन्होंने 1999 में पेशेवर टेनिस खेलना शुरू किया और चीन में युवा खिलाड़ियों को ओलंपिकि के लिए प्रशिक्षित करने के चीन के राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण लिया.
शुरुआत में उन्हें बैडमिंटन के लिए चुना गया था लेकिन बाद में उन्होंने टेनिस खेला.
नाख़ुश
ली चीन की राष्ट्रीय टीम की अहम खिलाड़ी थी लेकिन चीन के मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक वह कोचिंग से नाख़ुश थीं.
उनका यह भी तर्क़ था कि खिलाड़ी को उसके प्रदर्शन के आधार पर वित्तीय मदद मिलनी चाहिए.
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साल 2008 के बीजिंग ओलिंपिक खेलों के बाद ली ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राष्ट्रीय टीम छोड़ दी थी और तीन साथी खिलाड़ियों के अपने दम पर प्रशिक्षण लेना शुरू किया.
ली ना अपनी मुखर टिप्पणियों के कारण कई बार विवादों में भी रही. 2011 में फ्रेंच ओपन जीतने के बाद देश का शुक्रिया अदा न करने पर उन्हें आलोचना का भी सामना करना पड़ा.