कतर में फंसे भारतीयों को वापस लाएंगे सीएम योगी

क्या कतर में फंसे भारतीयों को वापस लाएंगे सीएम योगी? यूपी के किसी एक जिले में ज़ोर शोर से उठी मांग। क़तर और भारत के संबंध इस वक्त खराब मोड़ पर है। हाल ही में शरीयत कोर्ट की तरह कतर ने एक फैसला सुनाया और नेवी के आठ पूर्व अधिकारियों को फांसी की सजा का ऐलान कर दिया। इन भारतीयों को अपनी सफाई पेश करने का खुद को साबित करने का एक मौका तक नहीं दिया गया।

कतर की इस हरकत से भारत तो नाराज हैं ही साथ ही दुनियाभर में इसकी चर्चा हो रही है। एक तरफ भारत के पक्ष में कई मुस्लिम देश आ गए हैं, हर तरफ से कतर पर दबाव बन रहा है लेकिन देखना होगा कतर पर इसका कितना असर पड़ता है और वो कब तक अपने फैसले को पलटता है। इसी बीच अब विवाद में सीएम योगी आदित्यनाथ की भी एंट्री हो गई है। हालांकि ये एंट्री डाइरेक्ट तो नहीं हुई क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर का मामला है, लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर जरूर सीएम योगी जुड़े हैं।

आखिर क्यों हुई सीएम योगी आदित्यनाथ की इस मामले में एंट्री

दरअसल, जिन आठ भारतीयों को फांसी की सजा सुनाई गई है, उनमें से कुछ यूपी से भी ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में उनका परिवार जहाँ एक तरफ मोदी सरकार से गुहार लगा रहा है तो वहीं सीएम योगी से भी हाथ जोड़कर आवेदन किया जा रहा है। इन लोगों की मांग है कि इनके परिवार के सदस्यों को फांसी से बचा लिया जाए।

इसी बीच हाल ही में यूपी के मुजफ्फरनगर में यह मांग ज़ोर शोर से उठाई गई। शिवसेना क्रांति सेना ने सड़कों पर उतरकर अपना विरोध दर्ज किया। कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री मोदी के नाम ज्ञापन देकर सैनिकों की रिहाई की मांग उठाई। साथ ही सीएम योगी से भी परिवार के सदस्यों की तरफ ध्यान देने का आग्रह किया। इस दौरान किसान क्रांति सेना के लोग भी यही मांग उठाते हुए दिखाई दिए। क़तर के खिलाफ़ आवाज बुलंद करते करते इन कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि अगर सरकार नौसैनिकों को भारत वापस लाने में नाकामयाब हुई तो और उग्र आंदोलन किया जाएगा। सोशल मीडिया पर इस प्रदर्शन की कुछ तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रही है जो कतर के खिलाफ़ लोगों में कितना गुस्सा है यह बताने के लिए काफी है।

क़तर को भारी पड़ सकता है भारत से पन्गा

आपको बता दें कतर खुले तौर पर भारत के साथ विवाद कर रहा है, जबकि वह जानता है कि इससे उसका ही नुकसान होने वाला है। भारत चाहे तो 1 दिन में उसे 100 अरब का झटका दे सकता है। दरअसल, हर कोई जानता है कि भारत नेचुरल गैस के लिए कतर पर निर्भर है। कतर से भारत की लगभग 42 फीसदी गैस का आयात होता है, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं है कि कतर जो चाहे वो करेगा क्योंकि भारत के पास तो किसी और खाड़ी देश से भी नेचुरल गैस लेने का विकल्प है। लेकिन कतार से अगर भारत ने अपनी ये डील खत्म कर ली तो फिर वो अपनी गैस किसे बेचेगा, यह समस्या उसके सामने है।

सोचिए गैस का 42 फीसदी तो अकेले भारत में ही व्यापार हो जाता है तो ऐसे में अगर भारत इसे बंद करता है तो फिर कतर को पूरे पूरे 100 अरब का झटका लगने की उम्मीद है। इससे कतर की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा जाएगी। सोने पे सुहागा अगर भारत ने वहाँ पर काम करने वाले अपने सभी श्रमिकों को वापस बुला लिया तो कतर का पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर ही हिल जाएगा।

क़तर के खिलाफ क्या कर सकता है भारत?

कतर को बर्बाद करने में भारत को ज्यादा कुछ नहीं करना। बस ये दो बड़े फैसले लेने हैं। माली में भारत ने अफ्रीकी देश मोजाम्बिक के साथ मिलकर ऐसा ऐलान किया है जिससे सीधे तौर पर कतर की गद्दारी के लिए भारत की तरफ से करारा जवाब माना जा रहा है। हाल ही में भारत ने मोजाम्बिक में 20 बिलियन डॉलर की योजना पर काम तेज कर दिया है। इस बात की जानकारी हाल ही में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दी थी। फिलहाल देखना दिलचस्प रहेगा कि कतर अपने फैसले से पलटता है या फिर उसे भारत के विरोध का सामना करना होगा।

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